saraswati chalisa lyrics in hindi माँ सरस्वती को हिन्दू धर्म के बहुत ही शांत और सूंदर देवी के रूप में दर्शाया गया है। सरस्वती पुराण के अनुसार माता सरस्वती इतनी सूंदर थी कि उनके पिता ही उन पर मोहित हो गए थे। माँ सरस्वती को कला, विद्या , और संगीत की देवी के रूप में पूजा जाता है। कला प्रेमी, वह छात्रों के जीवन में माँ सरस्वती का बहुत ही महत्पूर्ण स्थान है। आज के समय में भी सभी स्कूल कॉलेजों में माँ सरस्वती की मूर्ति अवशय होती है। हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हमारे देश में सरस्वती पूजा मनाया जाता है। यह पूजा पुरे देश में से मनाया जाता है परन्तु बिहार में यह पूजा बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। सभी लोग अपने अपने घरो में माँ सरस्वती की मूर्ति की स्थापना करते है और उनकी पूजा रचना करते है जिससे माँ प्रसन्न होकर उन्हें विद्या का आशीर्वाद दे। माता को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अनेक की चीजे चढ़ाई जाती साथ ही भजन कीर्तन किया जाता है। इन्ही में से एक है माँ की चालीसा का पाठ करना ऐसा माना जाता है saraswati chalisa lyrics in hindi का पाठ करने से माता बहुत ही प्रसन्न होती है और यदि माँ सरस्वती किसी से प्रसन्न हो जाये तो कामयाबी उसके कदम जरूर चूमती है।
माँ सरस्वती चालीसा
दोहा
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुज धारी माता।सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥
तब ही मातु का निज अवतारी।पाप हीन करती महतारी॥
वाल्मीकिजी थे हत्यारा।तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामचरित जो रचे बनाई।आदि कवि की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्वाना।भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।केव कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करहिं अपराध बहूता।तेहि न धरई चित माता॥
राखु लाज जननि अब मेरी।विनय करउं भांति बहु तेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधुकैटभ जो अति बलवाना।बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥
समर हजार पाँच में घोरा।फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।क्षण महु संहारे उन माता॥
रक्त बीज से समरथ पापी।सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।बारबार बिन वउं जगदंबा॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना।निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी।नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता।कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित को मारन चाहे।कानन में घेरे मृग नाहे॥
सागर मध्य पोत के भंजे।अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई।संशय इसमें करई न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई।सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥
करै पाठ नित यह चालीसा।होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करैं हमेशा।निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें सत बारा।बंदी पाश दूर हो सारा॥
रामसागर बाँधि हेतु भवानी।कीजै कृपा दास निज जानी॥
॥दोहा॥
मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु
।राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥
Video Credit
SINGER: ANURADHA PAUDWAL
MUSIC DIRECTOR: SHEKHAR SEN
Music Label: T-Series
FAQ
Q- 1 सरस्वती दुर्गा की बेटी है?
A -1 ऋग्वेद में माँ सरस्वती को भगवान् शिव और दुर्गा माता की पुत्री के रूप में वर्णित किया गया है।
Q-2 देवी सरस्वती को कौन सा फूल पसंद है?
A-2 माता सरस्वती को पिले रंग के पुष्प अति प्रिय है जैसे पीले कनेर, पीले रंग का गेंदा
Q-3 माता सरस्वती की प्रार्थना कैसे करें?
A-3
माता सरस्वती से प्रार्थना करने के लिए उनके द्वादश नाम का जप करे। इस स्त्रोत का जाप करने से विद्या बुद्धि में वृद्धि होता है।
।माता सरस्वती के द्वादश नाम मन्त्रः।।
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सरस्वति महाभागे विद्या कमललोचने ।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते ॥
प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती ।
तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंस वाहिनी।।
पञ्चमं तु जगन्माता षष्ठं वागधिस्वरी तथा।
सप्तमं चैव कौमारी अष्टमं वर दायिनी।।
नवमं बुद्धिदात्री च दशमं ब्रह्मचारिणी।
एकादशं चन्द्र घण्टा द्वादशं भुवनेश्वरी।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः
जिह्वाग्रे वसते तस्य ब्रह्मरूपा सरस्वती।।
Q-4 सरस्वती माता किसका अवतार है?
A-4 माता सरस्वती किसी का अवतार नहीं है बल्कि सरस्वती पुराण के अनुसार उन्हें ब्रह्मा जी ने अपने तेज से उत्पन किया था।
Q-5 मां सरस्वती के कितने नाम हैं?
A-5 शास्त्रों के अनुसार माँ सरस्वती के १०८ नाम है परन्तु के 12 प्रमुख नाम इस प्रकार है।
भारती, सरस्वती, शारदा, हंसवाहिनी, जगती, वागीश्वरी, कुमुदी, ब्रह्मचारिणी, बुद्धिदात्री, वरदायिनी, चंद्रकांति व भुवनेश्वरी।