agneepath poem lyrics | हरिवंश राय बच्चन जी विशेष कविताएं

(agneepath poem lyrics ) हरिवंश राय बच्चन जी हिंदी भाषा के एक जाने माने कवि है। बच्चन जी को लेखन का शोक शुरू से ही था। और उन्होंने अपने विधार्थी जीवन में ही लिखना शुरू कर दिया था। बच्चन जी की सभी कविताओं में उनकी सुँदर लेखन शैली की झलक देखने को मिलता है। बच्चन जी ने अनेक प्रेरणादायक कविताएं लिखी जैसे अग्निपथ, पूर्व चलने के बटोही, कोशिश करने वालों की आदि। आज इस लेख में उनकी कुछ विशेष रचनाओं प्रस्तुत किया जा रहा है।

agneepath poem lyrics

agneepath poem lyrics

वृक्ष हों भले खड़े
हों घने, हों बड़े
एक पत्र छाँह भी
मांग मत! मांग मत! मांग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

तू न थकेगा कभी
तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

यह महान दृश्य है
चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से
लथ-पथ! लथ-पथ! लथ-पथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

agneepath poem lyrics

Khan Sir

पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले

पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकी कहानी,
हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की ज़बानी,
अनगिनत राही गए इस राह से, उनका पता क्या,
पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी,
यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है,
खोल इसका अर्थ, पंथी, पंथ का अनुमान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।

है अनिश्चित किस जगह पर सरित, गिरि, गह्वर मिलेंगे,
है अनिश्चित किस जगह पर बाग वन सुंदर मिलेंगे,
किस जगह यात्रा ख़तम हो जाएगी, यह भी अनिश्चित,
है अनिश्चित कब सुमन, कब कंटकों के शर मिलेंगे
कौन सहसा छूट जाएँगे, मिलेंगे कौन सहसा,
आ पड़े कुछ भी, रुकेगा तू न, ऐसी आन कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।

कौन कहता है कि स्वप्नों को न आने दे हृदय में,
देखते सब हैं इन्हें अपनी उमर, अपने समय में,
और तू कर यत्न भी तो, मिल नहीं सकती सफलता,
ये उदय होते लिए कुछ ध्येय नयनों के निलय में,
किन्तु जग के पंथ पर यदि, स्वप्न दो तो सत्य दो सौ,
स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो, सत्य का भी ज्ञान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।

स्वप्न आता स्वर्ग का, दृग-कोरकों में दीप्ति आती,
पंख लग जाते पगों को, ललकती उन्मुक्त छाती,
रास्ते का एक काँटा, पाँव का दिल चीर देता,
रक्त की दो बूँद गिरतीं, एक दुनिया डूब जाती,
आँख में हो स्वर्ग लेकिन, पाँव पृथ्वी पर टिके हों,
कंटकों की इस अनोखी सीख का सम्मान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।

यह बुरा है या कि अच्छा, व्यर्थ दिन इस पर बिताना,
अब असंभव छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना,
तू इसे अच्छा समझ, यात्रा सरल इससे बनेगी,
सोच मत केवल तुझे ही यह पड़ा मन में बिठाना,
हर सफल पंथी यही विश्वास ले इस पर बढ़ा है,
तू इसी पर आज अपने चित्त का अवधान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।

agneepath poem lyrics

vidyapati 
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

जो बीत गई सो बात गई

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई

एक नजर में हरिवंश राय बच्चन जी का परिचय

हरिवंश राय बच्चन, जो 27 नवंबर, 1907, को इंडिया के इलाहाबाद में जन्मे थे, एक हिंदी साहित्य में प्रशंसित कवि थे। उनकी कविता, जिसमें गहरे दार्शनिक विचार हैं, प्रेम, जीवन, आध्यात्मिकता, और मानव अनुभव जैसे विषयों का अन्वेषण करती है। उनका काम भावनात्मक गहराई और गहन अनुभूतियों के लिए जाना जाता है, और उनकी कविता अक्सर मानव संबंधों की जटिलताओं पर ध्यान देती है।

उनका एक प्रसिद्ध काम “मधुशाला” (द हाउस ऑफ़ वाइन) है, जो 1935 में प्रकाशित हुआ था। इस संग्रह ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रतीकवादी रूप से दर्शाने के लिए एक दरबार और शराब के अपमान का अनुसरण किया है, पाठकों को समृद्धि से भरपूर औपचारिक अर्थों और सार्वभौमिक आकर्षण के साथ।

कविता के अलावा, बच्चन एक सफल हिंदी फिल्म गीतकार भी थे। उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए गीत लिखे, सिनेमाटिक दुनिया में अपने कवितात्मक स्पर्श को साझा किया। उनका एक प्रसिद्ध काम इस क्षेत्र में है गीत “कभी कभी मेरे दिल में” जो फिल्म “कभी कभी” से है।

हरिवंश राय बच्चन ने अपने साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए और उन्होंने भारतीय साहित्य में अपनी प्रभावशाली भूमिका को मजबूत किया। उनके बेटे, अमिताभ बच्चन, भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महान अभिनेता हैं, और बच्चन परिवार की सांस्कृतिक विरासत जारी रहती है। बच्चन की कविता समय के साथ बनी रहती है, पाठकों को प्रेरित करती है, और उनके गहरे शब्द समय के परीक्षण से गुजरते रहते हैं।

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