करे मंत्रमुग्ध कर देने वाली shankar ji ki aarti lyrics के साथ (१०८)

किसी भी पूजा के बाद आरती का विशेष महत्व है क्योकि आरती के बिना किसी भी पूजा को अधूरा माना जाता है। पूजा के बाद आरती करना ही पूजा का समापन होता है। इसलिए इस लेख में हम आपको shankar ji ki aarti के बोल लिख कर दे रहे है,जिससे आप बिना किसी त्रुटि के shankar ji ki aarti कर सके। त्रिदेवो में से महादेव को संहार कर्ता के रूप में जाना जाता है। पौराणिक कथाओ के अनुसार शंकर जी को पृथ्वी की रक्षा का भार सौपा गया है, और वही लोगो के जीवन में आए परेशानियों को दूर करते है। देवाधि देव महादेव को प्रसन्न करना आसान नहीं पर भोले भाले से शंकर जी जिस पर प्रसन्न हो गए उनकी झोली हमेशा खुशियों से भरी रहती है। उसके जीवन का हर कार्य सिद्ध होता है सफलता उसके कदम चूमती है। तो चलिए शुरू करते है shankar ji ki aarti और लेते है उनका आशीर्वाद।

shankar ji ki aarti

shankar ji ki aarti

 

( ॐ नमः शिवाय )

ओम जय शिव ओंकारा, प्रभु हरी शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा
||ओम जय शिव ओंकारा ||

एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे
||ओम जय शिव ओंकारा ||

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज ते सोहे।
तीनो रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे
||ओम जय शिव ओंकारा ||

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद चंदा भोले शुभकारी
||ओम जय शिव ओंकारा ||

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
ब्रम्हादिक सनकादिक भूतादिक संगे
||ओम जय शिव ओंकारा ||

कर के मध्य कमंड चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालनकर्ता
||ओम जय शिव ओंकारा ||

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका
||ओम जय शिव ओंकारा ||

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
||ओम जय शिव ओंकारा ||

shankar ji ki aarti

( ॐ नमः शिवाय )

(कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् )
(सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि )

आरती का सही तरीका क्या है

  • आरती करने के लिए गाय के घी या कपूर का प्रयोग करे।
  • आरती करने के लिए पंचमुखी दिया या पीतल की थाली का प्रयोग करे।
  • आरती करते समय थाली को कभी भी गोल गोल नहीं घूमना चाहिए। बल्कि आरती की थाली को इस प्रकार घूमना चाहिए कि वह ॐ की आकृति बनाये।
  • आरती करते समय यह आवश्यक है कि 3 बार भगवान के चरणों कि, 4 बार भगवान् के कमर कि, 7 बार भगवान के मुख की और अंत में 7 बार भगवान् के सम्पूर्ण शरीर की आरती की जाए।
  • आरती के बाद शंख बजाना आवश्यक होता है। इसलिए आरती के बाद यदि घर में शंख मौजूद हो तो शंख अवश्य बजाए।
  • आरती करते समय आरती को दाहिने हाथ में और घंटी को बाए हाथ में रखे।

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FAQ

Q-1 शिव जी की बेटी का नाम क्या है?

A-1 शिव जी की छः बेटिया है जिनके नाम इस प्रकार है जया, विषहरा, शामिलबारी, देव, दोतीली और शिव जी की सबसे छोटी कन्या का नाम अशोक सुंदरी है।

Q-2 शंकर जी का पहला पुत्र कौन था?

A-2 भगवान् शिव जी के पहले पुत्र का नाम कार्तिकेय है।

Q-3 शिव जी की पुत्री कितनी है?

A-3 भगवान् शिव जी की छः पुत्रिया है जिनके नाम इस प्रकार है जया, विषहरा, शामिलबारी, देव, दोतीली और शिव जी की सबसे छोटी कन्या का नाम अशोक सुंदरी है।

Q-4 शिवा की असली पत्नी कौन है?

A-4 भगवान् शिव की प्रथम पत्नी माता सती थी। परन्तु सती माता के मृत्यु के पश्चात् जब वह माता पार्वती के रूप में जन्म लेती तब फिर उनका विवाह भगवान् शिव से होता है और वह सदैव माता पार्वती के रूप में शिव जी के साथ रहती है इस अनुसार माता पार्वती ही शिव जी की असली पत्नी है।

Q-5 क्या देवी गंगा भगवान शिव की पत्नी है?

नहीं माँ गंगा शिव जी की नहीं पत्नी है। बल्कि जिस समय माँ गंगा पृथ्वी पर आ रही थी उस समय शिव जी ने उन्हें अपनी जटाओ में स्थान दिया था। ताकि उनके जल के वेग पृथ्वी पाताल में ना समा जाए।

 

 

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