पढ़िए मैथिल कवि कोकिल vidyapati ka jivan parichay

vidyapati ka jivan parichay भगवान बुद्ध की धरती बिहार का एक अपना ही गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। बिहार के इसी धरती पर एक से एक महान लोगो का जन्म हुआ। फिर वह चाहे सम्राट अशोक जैसे महान शासक हो या फिर देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद। एक समय था जब बिहार शिक्षा का वह गढ़ हुआ करता था जहा लोग विदेशों से भी शिक्षा ग्रहण करने आते थे। और इसी ज्ञान की धरती पर 14वी शतावादी में एक महान कवि विद्यापति जी का जन्म हुआ विद्यापति जी की कहानी आज भी बिहार के घर घर में प्रचलित है। विद्यापति जी के बारे में एसी मान्यता है की स्वयं भगवान शिव उनके घर नौकर बन कर रहे थे। आज इस लेख में हम इसी महान कवि के बारे विस्तार से जानेंगे

vidyapati ka jivan parichay

कोन थे विद्यापति ?

विद्यापति जी का जन्म बिहार के मधुबनी जिले के विस्फी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता भगवान् शिव के बहुत बड़े भक्त थे। इसलिए विद्यापति जी कि भी रूचि शिव जी में बचपन से ही थी। उनकी अनेक रचनाओं में भगवान् शिव के प्रति उनका समर्पण देखने को मिलता है। विद्यापति जी को मुख्य रूप से श्रृंगाररस और भक्तिरस का कवि माना जाता है। परन्तु कुछ कवि इन्हे रहस्मयकवी की भी उपाधि देते है। इसकी रचनाओं की मुख्य भाषा मैथिली, संस्कृत ,और अवहट्ट है। विद्यापति जी को मैथिल कवि कोकिल ,अभिनव जयदेव, कवि शेखर, आदि उपनाम से भी जाना जाता है। विद्यापति मिथिला के राजा शिव सिंह के घनिष्ट मित्र, सलाहकार एवं राजकवि थे।

उगना महादेव और विद्यापति संबंध

बिहार में प्रचलित अनेक कहानियों के अनुसार विद्यापति जी भगवान् शिव के अनन्य भक्त थे। वह शिव जी का भजन इतने मधुर स्वर में गाते थे कि उसे सुनने के लिए लोगो को दूर दूर से आना पड़ता था। एक बार शिव जी विद्यापति के भजन से इतने मत्रमुग्ध हो गए कि उनके भजन को समीप से सुनने के लिए उनके घर तक आ गए। जब भगवान् शिव वेष बदलकर विद्यापति जी के घर पहुंचे तब अपना नाम उगना बताया और उनके घर में कार्य करने की इच्छा जताई। विद्यापति जी ने उसे असहाई जानकर अपने घर में रख लिया। परन्तु उगना बने महादेव जी का मन घर कार्य से ज्यादा विद्यापति जी के भजनो को सुनने में लगता था। जिस कारण विद्यापति जी की पत्नी सुधीरा को उगना पसंद नहीं था।

एक बार कि बात है उगना और विद्यापति जी कही जा रहे थे।भीषण गर्मी का समय था जिस कारण विद्यापति जी को प्यास लगी और उन्होंने उगना को पानी लाने के लिए कहा इतना कहकर विद्यापति जी मूर्छित हो गए। उगना महादेव जल की तलाश में इधर उधर भटक रहे थे परन्तु कही जल न मिलने पर अपनी जटाओ से गंगाजल निकला और विद्यापति जी को पीला दिया। जब विद्यापति जी की मूर्च्छा खुली तब उन्हें यह समझने में ज्यादा समय नहीं लगा कि इस वन में उगना जल कहा से लाया होगा। वह जान चुके थे कि उगना और कोई नहीं महादेव है। विद्यापति जी ने महादेव के चरण पकड़ लिए और हमेशा अपने साथ रहने का अनुरोध किया। महादेव मान गए परन्तु उन्होंने यह शर्त रखी जिस दिन विद्यापति ने यह सच किसी को बता दिया उसी दिन वह चले जायेंगे। और ऐसा ही हुआ एक दिन अपनी पत्नी द्वारा महादेव को मार खाता देख विद्यापति के मुख से सच निकल गया और उगना बने महादेव अन्तर्ध्यान हो गए। यही उगना बने महादेव शिवलिंग के रूप में आज भी बिहार के मधुबनी जिले के भवानीपुर गांव में विद्यमान है जिनके दर्शन को लोग दूर दूर से आते है।

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विद्यापति जी का व्यक्तिगत परिचय

  • नाम                                  विद्यापति ठाकुर
  • उपनाम                            मैथिल कवि कोकिल ,अभिनव जयदेव, कवि शेखर
  • जन्म                             1368 ई ( विद्यापति जी के जन्म वर्ष को लेकर अलग अलग मत है )
  • जन्म स्थान                     विस्फी , मधुबनी बिहार
  • पिता का नाम                   गणपति ठाकुर
  • माता का नाम                   हंसिनी देवी
  • गुरु श्री                              हरी मिश्र
  • रचनाओं की भाषा             मैथिली, संस्कृत, अवहट्ट
  • पत्नी                                सुधीरा  (विद्यापति जी के दो विवाह हुए थे।दूसरी पत्नी का नाम हमें ज्ञात नहीं )
  • पुत्र                              नरपति ठाकुर, हरपति ठाकुर, वाचस्पति ठाकुर
  •  पुत्री                            दुल्लहि
राजा शिव सिंह और विद्यापति मित्रता

राजा शिव सिंह ओइनवार राजवश के राजा थे। और उन्होंने मिथिला पर लगभग 3 वर्ष 9 महीने तक शासन किया। राजा शिव सिंह और विद्यापति के बीच बहुत घनिष्ट मित्रता थी। जब शिव सिंह मिथिला के सिंहासन पर बैठे तब उन्होंने विद्यापति को उनका गृह ग्राम विस्फी इनाम में दिया था। राजा शिव सिंह ने विद्यापति को जयदेव नाम से भी सम्मानित किया था। राजा शिव सिंह के संरक्षण में विद्यापति ने अनेक प्रेम गीतों की रचना कि। राजा कि पत्नी लखिमा देवी विद्यापति की बहुत बड़ी भक्त थी। 1406 में मुस्लिम सेनिको के साथ लड़ाई के बाद राजा शिव सिंह लापता हो गए थे। जिसके बाद रानी लखिमा और विद्यापति ने नेपाल के राजाबनोली के एक राजा के यह शरण लिया।

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विद्यापति और उन पर बनी फिल्मे

विद्यापति जी की कहानी से नई पीढ़ी को अवगत करने के उद्देश्य से कई नाटकों और फिल्मो का मंचन किया गया है। सर्वप्रथम हिंदी भाषा में ही विद्यापति फिल्म का मंचन किया गया था। इसके बाद भी अलग अलग तरह से विद्यापति जी कि कहानी को समय समय पर लोगो के सम्मुख प्रस्तुत किया गया। इसी कड़ी में एक और फिल्म जुड़ गया है। जिसका नाम है विद्यापति इस फिल्म का निर्माण मैथिली भाषा में ही किया गया है। और एक बहुत ही सूंदर प्रयास किया गया है। इस फिल्म में महादेव के प्रति विद्यापति की भक्ति और राजा शिव सिंह से उनकी मित्रता को उजागर किया गया है।

video Credit Janki Production Vidyapati

  • Producer: Sunil Kumar Jha
  • Writer – Director: Shyam Bhaskar
  • Music: Alok Kr. Jha
विद्यापति की रचनाएँ

मैथिली भाषा में

पदावली
गोरक्ष विजय

अवहट्ट भाषा में

कीर्तिलता
कीर्तिपताका
पुरुष परीक्षा
लिखनावली
विभागसार

संस्कृत भाषा में

शैव सर्वस्वसार
लिखनावली
भूपरिक्रमा
पुरुष परीक्षा
मणिमंजरी
दुर्गभक्त तरंगिणी
गंगावाक्यावली
दानवकयवाली
विभागसार

विद्यापति द्वारा रचित कीर्तिपताका में राजा शिव सिंह की वीरता को दर्शाया गया है। और कीर्तिलता राजा कीर्ति सिंह की वीरता को समर्पित रचना है।

FAQ

Q-1 विद्यापति कहाँ के रहने वाले थे?
A-1विद्यापति बिहार राज्य के मधुबनी जिले के बिस्फी गांव के रहने वाले थे। बाद में उन्हें यह गांव राजा शिव सिंह ने भेट में दिया था।

Q-2 विद्यापति ने कुल कितने ग्रंथ की रचना की है?
A-2 विद्यापति जी ने कुल 16 ग्रन्थ की रचना की थी।

Q-3 विद्यापति ने किस भाषा में लिखा है?
A-3 विद्यापति ने मुख्य रूप से अवहट्ट, मैथिली ,और संस्कृत भाषा को अपनी रचनाओं के लिए चुना।

Q-4 कवि विद्यापति ने भगवान शिव से क्या माँगा है?
A-4 विद्यापति ने भगवान् से यह माँगा था कि वह सदैव विद्यापति के पास ही रहे परन्तु ऐसा हो ना सका।

Q-5 विद्यापति की रचना कौन सी है?
A-5 विद्यापति की रचना इस प्रकार है पदावली, गोरक्ष विजय,कीर्तिलता, कीर्तिपताका, पुरुष परीक्षा, लिखनावली,विभागसार, शैव सर्वस्वसार, लिखनावली, भूपरिक्रमा, पुरुष परीक्षा, मणिमंजरी,दुर्गभक्त तरंगिणी,गंगावाक्यावली,दानवक्यावलि,विभागसार

(ऊपर दी गयी जानकारी में मतभेद हो सकता है। )

Written By Anisha Mishra

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