sai baba aarti lyrics साई बाबा के हमारे देश में अनेको भक्त है जो उनमे गहरी आस्था रखते है। साई बाबा का जन्म कब हुआ इसके बारे में कोई भी सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ लोगो के अनुसार उनका जन्म 1835 में हुआ था तो कुछ के अनुसार 1838 में, साई बाबा का जन्म किस जगह हुआ यह बात भी किसी को ज्ञात नहीं कियुकी प्रचलित कहानियो के अनुसार साई ने कभी इस बात का जिक्र नहीं किया कि वह कौन है और कहा से आये है। साई बाबा सिर्फ लोगो को इन्सानित और सचाई की राह दिखाना चाहते थे जिससे सभी लोग सही राह पर चले। साई बाबा पहले ऐसे भगवान् है जिनको हर धर्म के लोग मानते है। गुरुवार का दिन साई की पूजा के लिए खास माना जाता है इस दिन लोग साई बाबा की पूजा आरती करते है जिससे उन्हें साई बाबा का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। और किसी भी पूजा के बाद आरती का विशेष महत्व होता है आरती के बिना पूजा को ही अधूरा माना जाता है। इसलिए आज इस लेख में हम आपको sai baba aarti lyrics लिख कर दे रहे जिससे आप भलीभांति साई बाबा की आरती कर सके।
sai baba aarti lyrics
आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की।
जा की कृपा विपुल सुखकारी,दु:ख शोक, संकट, भयहारी॥
आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।
शिरडी में अवतार रचाया,चमत्कार से तत्व दिखाया।
कितने भक्त शरण पर आये,वे सुख शान्ति निरतर पाये॥
आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।
भाव धरै जो मन में जैसा,साई का अनुभव हो वैसा।
गुरु की उदी लगावे तन को,समाधान लाभत उस मन को॥
आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।
साईं नाम सदा जो गावे,सो फल जग में शाश्वत पावे।
गुरुवासर करि पूजा-सेवा,उस पर कृपा करत गुरुदेवा॥
आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।
राम, कृष्ण, हनुमान रुप में,दे दर्शन, जानत जो मन में।
विविध धर्म के सेवक आते,दर्शन कर इच्छित फल पाते॥
आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।
जै बोलो साईं बाबा की,जै बोलो अवधूत गुरु की।
‘साईं कीआ रती को गावै,घर में बसि सुख, मंगल पावे॥
आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज
जय जय जय साई बाबा की आरती श्री साईं गुरुवर की
आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की।
जा की कृपा विपुल सुखकारी,दु:ख शोक, संकट, भयहारी॥
- Video Aarti
- Video Credit
- Singer Suresh wadker
- lyrics nikhil ravindra
- music dayaram morya
साई के अनमोल विचार
विश्वास ही कुंजी है:
साईं हमें सिखाते हैं कि विश्वास एक पूर्ण जीवन की आधारशिला है। परमात्मा और खुद पर अटूट विश्वास के साथ, हम अपने रास्ते में वाले किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते है।
दया की भावना
साईं बाबा का ज्ञान दया और करुणा के महत्व पर जोर देता है। साई के अनुसार दया की भावना रखना दुसरो को तो लाभ पहुचाता ही साथ ही हमारे दिल में भी ख़ुशी भर देता है इसलिए हमें लोगो के प्रति दया का भाव रखना चाहिए।
भौतिकवाद से अलगाव:
भौतिक संपत्ति से प्रेरित दुनिया में, साईं की शिक्षाएं हमें याद दिलाती हैं कि सच्ची खुशी धन संचय करने से नहीं बल्कि हमारे आध्यात्मिक कार्यो का पोषण करने से आती है।
प्रतिकूल परिस्थितियों में शांति
जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है, और साईं हमें शांतिपूर्ण इंसान बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जिससे हम विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए अधिक मजबूत और समझदार बनकर उभर सकते हैं।
सत्य की तलाश करें: साईं के अनमोल विचार हमें जीवन के सभी पहलुओं में सत्य की तलाश करने के लिए प्रेरित करते हैं। सच्चाई और ईमानदारी एक सार्थक अस्तित्व की नींव हैं।
निःस्वार्थ भाव से सेवा करें:
सेवा साईं की शिक्षाओं का एक मूल सिद्धांत है। बिना किसी प्रतिफल की अपेक्षा के दूसरों की मदद करना आध्यात्मिक विकास का मार्ग है।
सादगी अपनाएं:
सादगी एक ऐसा गुण है जिसे साईं बाबा बहुत पसंद करते थे। सरल जीवन जीने और छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढने से संतुष्टि और शांति मिल सकती है।
सभी से प्यार करें, सभी की सेवा करें: साईं का सार्वभौमिक प्रेम का संदेश हमें हर जीवित प्राणी के साथ प्यार और सम्मान से पेश आने की याद दिलाता है।
क्षमा करना
द्वेष और क्रोध को मन में रखना हम पर बोझ डाल सकता है। साई के अनुसार आंतरिक शांति पाने के लिए क्षमा एक शक्तिशाली उपकरण है।
गुरु-शिष्य संबंध:
साईं बाबा ने गुरु-शिष्य संबंध के महत्व पर जोर दिया। एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक से सीखने और उनकी शिक्षाओं का पालन करने से आध्यात्मिक विकास और ज्ञान प्राप्त हो सकता है।