shiv chalisa lyrics सावन का महीना भगवान् शिव को समर्पित होता है। सावन के पुरे महीने लोग भगवान् शिव की भक्ति में लगे रहते है, हर व्यक्ति अपने तरीके से भगवान् शिव को प्रसन्न करने में लगा रहता है जैसे कांवड़ यात्रा, भगवान शिव का रुद्राभिषेक, सोमवार के व्रत आदि। परन्तु ज्ञानी पंडितो के अनुसार shiv chalisa lyrics
भगवान् शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल मार्ग है। यदि आप अपने जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना कर रहे है,या बार बार आपको असफलता प्राप्त हो रही है तो ऐसे में आपको भगवान् शिव जी के शरण में जाना चाहिए और shiv chalisa का पाठ प्रतिदिन करना चहिये। यदि आपके पास समय की कमी है तो ऐसे में आप सिर्फ सोमवार के दिन भी शिव चालीसा का पाठ कर सकते है। shiv chalisa पाठ करते समय आपसे कोई त्रुटि ना हो इसलिए हम आपको shiv chalisa के बोल लिख कर बता रहे है।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
शिव चालीसा के बोल
दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ॥
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत संतन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मुनि मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहि जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पूर्ण प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन ना आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट ते मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदाहीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्रहीन कर इच्छा कोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
तन नहीं ताके नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीस ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
मनवांछित फल पूर्ति के लिए इस प्रकार करे शिव चालीसा का पाठ
यदि आप किसी खास फल की प्राप्ति के लिए शिव चालीसा का पाठ कर रहे है तो ऐसे में आपको हमेशा उत्तर की ओर मुख करके शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
किसी भी चालीसा का पाठ करते समय खली जमीन पर न बैठे। पाठ सुरु करने से पहले अपने लिए आसान बिछाए।
शिव चालीसा का पाठ कभी भी मन में नहीं चाहिए क्योकि यदि कोई भी पाठ आप मन में करते है तो आपका ध्यान भटक सकता है इसलिए कोई भी पाठ या मंत्र का उच्चारण बोल कर करे।
यदि आपके घर में शिवलिंग है तो उनकी पूजा करने के बाद ही शिव चालीसा का पाठ करे