(bharat ratna 2024 list in hindi ) Bharat Ratna” भारत का सबसे उच्च नागरिक पुरस्कार है। इसे 2 जनवरी 1954 को स्थापित किया गया था। भारत रत्न अत्यंत मौलिक और मान्यतापूर्ण है और इसे सामान्यतः उन व्यक्तियों को पुरस्कृत किया जाता है जिनका देश और उसके लोगों पर प्रभावपूर्ण परिणाम है। यह आवश्यक नहीं की भारत रतन किसी खास क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति को ही दिया जाये। यह सम्मान लोगो को अलग अलग क्षेत्र में उनके सराहनीय योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।
हमारे देश में सामान्यतः हर वर्ष कुछ विशेष लोगो को भारत रतन से सम्मानित किया जाता है। इस वर्ष 2024 में अभी तक कुल 5 लोगो को भारत रतन देने की घोषणा हुई है। इसमें सबसे पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर जी उसके बाद लाल कृष्ण अडवाणी जी और अब चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन शामिल है।
आज के इस लेख में इन्ही व्यक्ति विशेष के बारे में जानेगे
जननायक कर्पूरी ठाकुर
जननायक कर्पूरी ठाकुर जन्म 1 जनवरी 1921 को बिहार, भारत में हुआ था। वह एक प्रमुख भारतीय राजनेता और नेता थे। उन्होंने 1970 से 1971 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। ठाकुर समाजवादी आंदोलन में एक प्रमुख आंदोलनकारी थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
ठाकुर जी को विशेष रूप से पिछड़ी जाति वह अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने के लिए जाना जाता। ठाकुर के योगदान ने बिहार की राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में उन्हें व्यापक सम्मान और पहचान दिलाई। उन्हें 2024 में उनकी सेवा की मान्यता में भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया। ठाकुर की विरासत आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करती है, विशेष रूप से बिहार में, जहां उन्हें सामाजिक सुधार और समानता के प्रयासों का योद्धा के रूप में याद किया जाता है
लाल कृष्ण अडवाणी
लाल कृष्ण आडवाणी, 8 नवंबर 1927 को कराची (अब पाकिस्तान में) में जन्मे, एक वरिष्ठ भारतीय राजनेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख नेता हैं। उन्होंने भारतीय राजनीति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर 20वीं और 21वीं सदी के आखिरी दशकों में। 2002 से 2004 तक, वे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अधीन भारत के उपप्रधानमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं।
आडवाणी जी को भाजपा के विकास में विशेष योगदान है, विशेषकर हिंदू राष्ट्रवाद और हिंदुत्व विचारधारा को बढ़ावा देने में। उन्हें राम जन्मभूमि आंदोलन का महत्वपूर्ण व्यक्ति माना गया। अडवाणी जी ने आयोध्या में भगवान राम के माने जाने वाले जन्मस्थान पर मंदिर का निर्माण करने की मांग की।
उनके राजनीतिक करियर के दौरान, आडवाणी जी ने गृह मंत्री, सूचना और प्रसारण मंत्री, और विदेश मंत्री जैसे कई महत्वपूर्ण पदों को संभाला। उन्होंने लोक सभा में विपक्ष का भी नेतृत्व किया।
आडवाणी जी को उनकी राजनीतिक कुशलता और नेतृत्व के लिए प्रशंसा मिली है, लेकिन कुछ विवादास्पद मुद्दों में शामिल होने के लिए उन्हें आलोचना का सामना भी करना पड़ा। फिर भी, भारतीय राजनीति में उनका सम्मान बना रहा है। उनके द्वारा किये गए सराहनीय कार्यो के फलस्वरूप २०२४ में उन्हें भारत रतन से नवाजा गया है।
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पीवी नरसिम्हा राव (जन्म- 28 जून 1921, मृत्यु- 23 दिसम्बर 2004)
पीवी नरसिम्हा राव एक भारतीय राजनेता थे और 1991 और 1996 के बीच भारत के प्रधानमंत्री रहे। उन्हें आर्थिक विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति, और आर्थिक नीतियों में सुधार के लिए जाना जाता है। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार हुए, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई और बाहरी निवेशों की संभावनाएं बढ़ी। उन्होंने भारत की निजीकरण योजना और विपणन में परिवर्तन को प्रोत्साहित किया। राव को उनके योगदान के लिए 2024 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनेता थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) के सदस्य थे। सिंह साहब देश के पचवें प्रधानमंत्री थे । सिंह को आर्थिक उत्थान, गरीबी उन्मूलन, और बिना नॉन एलाइनमेंट विकास के लिए जाना जाता है । उनके प्रधानमंत्रित्व काल में भारत ने आर्थिक सुधार किया और नई आर्थिक नीतियों को शुरू किया। उनकी नेतृत्व में भारत ने आर्थिक उन्नति में कई बड़े कदम उठाए और विश्व अर्थव्यवस्था में अपनी गहरी छाप छोड़ी। उन्हें 2024 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया जिससे उनका योगदान और महत्व सार्वजनिक मान्यता मिली।
एमएस स्वामिनाथन
केंद्र सरकार ने भारत में कृषि क्रांति के जनक और प्रमुख कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामिनाथन को भारत रत्न से सम्मानित करने का एलान किया है। स्वामिनाथन ने देश में खाने की कमी को देखते हुए कृषि की पढ़ाई की और 1944 में मद्रास एग्रीकल्चरल कॉलेज से कृषि विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। उन्होंने 1949 में साइटोजेनेटिक्स में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। स्वामिनाथन को भारत में हरित क्रांति का अगुआ माना जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने शोध के माध्यम से पहले गेहूं की एक उत्कृष्ट किस्म की पहचान की और इससे भारत में गेहूं उत्पादन में बड़ी वृद्धि हुई। स्वामिनाथन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) शामिल हैं। उनका निधन पिछले साल 28 सितंबर को चेन्नई में हो गया था।